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Class 7 Hindi Chapter 5 Nahi Hona Bimaar – Stepwise NCERT Solutions

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How to Write Full-Mark Answers for NCERT Class 7 Hindi Chapter 5?

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How to Write Full-Mark Answers for NCERT Class 7 Hindi Chapter 5?

पाठ से


मेरी समझ से


(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन – सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।


प्रश्न 1.
बच्चे के विद्यालय न जाने का मुख्य कारण क्या था?

  • उसका विद्यालय जाने का मन नहीं था।

  • उसका साबूदाने की खीर खाने का मन था।

  • उसने गृहकार्य नहीं किया था।

  • उसे बुखार हो गया था ।


बच्चे के विद्यालय न जाने का मुख्य कारण क्या था?


उत्तर:

  • उसका विद्यालय जाने का मन नहीं था।

  • उसके गृहकार्य नहीं किया था।


प्रश्न 2.
कहानी के अंत में बच्चे ने कहा, “इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया । ” बच्चे ने यह निर्णय लिया क्योंकि-

  • घर में रहने के बजाय विद्यालय जाना अधिक रोचक है।

  • बीमारी का बहाना बनाने से साबूदाने की खीर नहीं मिलती।

  • झूठ बोलने से झूठ के खुलने का डर हमेशा बना रहता है।

  • इस बहाने के कारण उसे दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा।


उत्तर:

  • इस बहाने के कारण उसे दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा।


प्रश्न 3.

“लेटे-लेटे पीठ दुखने लगी” इस बात से बच्चे के बारे में क्या पता चलता है?


“लेटे-लेटे पीठ दुखने लगी” इस बात से बच्चे के बारे में क्या पता चलता है?


  • उसे बिस्तर पर लेटे रहने के कारण ऊब हो गई थी।

  • उसे अपनी बीमारी की कोई चिंता नहीं रह गई थी।

  • वह बिस्तर पर आराम करने का आनंद ले रहा था।

  • बीमारी के कारण उसकी पीठ में दर्द हो रहा था।


उत्तर:

  • उसे बिस्तर पर लेटे रहने के कारण ऊब हो गई थी।

प्रश्न 4.
“क्या ठाठ हैं बीमारों के भी!” बच्चे के मन में यह बात आई क्योंकि-

  • बीमार व्यक्ति को बहुत आराम करने को मिलता है।

  • बीमार व्यक्ति को अच्छे खाने का आनंद मिलता है।

  • बीमार व्यक्ति को विद्यालय नहीं जाना पड़ता है।

  • बीमार व्यक्ति अस्पताल में शांति से लेटा रहता है।


उत्तर:

  • बीमार व्यक्ति को अच्छे खाने का आनंद मिलता है।


(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग- अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?


उत्तर: मैंने इस प्रश्न के दो विकल्प इसलिए चुने हैं क्योंकि पाठ में स्पष्ट बताया गया है कि एक दिन बच्चे का स्कूल जाने का मन नहीं था और उसने अपना होमवर्क भी नहीं किया था। यदि वह स्कूल जाता, तो उसे सज़ा मिलती। सज़ा से बचने के लिए ही उसने स्कूल न जाने का मन बनाया।


दूसरे विकल्प को चुनने का कारण यह है कि बच्चा स्कूल न जाने के लिए जो बहाना बना रहा था, वह बिल्कुल सफल नहीं हुआ; उलटे उसे दिनभर भूखा और अकेला रहना पड़ा।


मैंने अगले विकल्प को इसलिए चुना क्योंकि बच्चा वास्तव में बीमार नहीं था, इसलिए उसे आराम की आवश्यकता भी नहीं थी। जब वह बिना बीमार हुए पूरे दिन लेटा रहा, तो स्वाभाविक रूप से उसे बहुत उकताहट हुई। साथ ही उस पर कई पाबंदियाँ लगा दी गईं, जिससे उसकी बेचैनी और बढ़ गई।


अंतिम विकल्प इसलिए चुना गया क्योंकि अस्पताल में काका को खीर खाते देखकर ही बच्चे के मन में यह सोच आई थी कि बीमार होने पर स्वादिष्ट भोजन मिलता है। इसी गलतफहमी ने उसे स्कूल जाने से बचने के लिए बीमारी का बहाना बनाने के लिए प्रेरित किया।

(विद्यार्थी अपने मित्रों के साथ चर्चा करके बताएँगे कि उन्होंने अपने चुने हुए विकल्प किस कारण चुने हैं।)


मिलकर करें मिलान


• पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने परिजनों और शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

क्रमांक

शब्द

अर्थ

1.

सामूहान

किसी विशेष कार्य के लिए भोजन बनाकर हुआ सत्कार

2.

साई

एक प्रकार का बर्तन जो ओखली जैसा दिखता है और जिसमें मट्ठा भरा होता है

3.

नरस

शरीर का सामर्थ्य (वैसे स्वस्थ) बताने वाला एक छोटा चोला

4.

दलाई

नई तरह की जुड़ी-जुटाई और औषधियों को डालकर उबाले गए पेय को दलाई कहते हैं। इसे सर्दी-जुकाम, खाँसी-बुखार और पाचन से जुड़ी समस्याओं में उपयोगी माना जाता है।

5.

स्प्रिंकलर

फेनों, टबों, नलसों और नलियों से नक्कूली कार्डों को पानी, साबुन और डिटर्जेंट के बिना बगैरों से साफ़ करने वाला यंत्र

6.

मस्जिद

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ नगर में 17वीं सदी में निर्मित एक शिल्प-समृद्ध मस्जिद जो प्रसिद्ध स्मारक के रूप में जानी जाती है

7.

तुरूस्टीमर

एक प्रकार की धुएँ से चलने वाली नाव

8.

बावर्चीखाना

ṛ खाना पकाने हेतु बने घर का हिस्सा; सामूहान, यह पहले आटे के रूप में होता है और फिर सूखकर ढेर में इकट्ठा किया जाता है

9.

अरहर

वह पौधा जिसकी दालें, पत्तियाँ और फली भोजन में उपयोग होती हैं


उत्तर:
1. – 8
2. – 1
3. – 9
4. – 2
5. – 3
6. – 4
7. – 5
8. – 6
9. – 7


पंक्तियों पर चर्चा


पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-


(क) “मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा । चलो बीमार पड़ जाते हैं। ”

उत्तर: अस्पताल जाने पर बच्चा वहाँ की साफ-सफाई, व्यवस्था और माहौल से तो प्रभावित हुआ ही था, लेकिन उसे सबसे ज्यादा अच्छा लगा कि मरीज को साबूदाने की खीर खिलाई जाती है। वह भी खीर खाना चाहता था। उसे लगा कि शायद खीर तभी मिलती है जब कोई बीमार हो।

इसी सोच के कारण, जब एक दिन उसने होमवर्क नहीं किया और सजा के डर से स्कूल जाने का मन नहीं हुआ, तो उसे बीमार पड़ जाना सबसे आसान उपाय लगा। उसे लगा कि यदि वह बीमार होने का नाटक करेगा, तो उसे आराम भी मिलेगा, प्यार-दुलार भी और स्वादिष्ट साबूदाने की खीर भी।


(ख) “देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता । कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता। लेकिन नहीं ! इससे सारे विकार निकल जाएँगे। विकार निकल जाएँ बस । चाहे इस चक्कर में तुम खुद शिकार हो जाओ।”


उत्तर: बच्चे का बीमार होने का बहाना बिल्कुल भी सफल नहीं होता, इसलिए वह चिढ़ जाता है और खुद पर ही खीझने लगता है। वह किसी से कुछ कह भी नहीं पाता, क्योंकि ऐसा करने पर उसका झूठ तुरंत पकड़ में आ सकता था। इसी कारण उसे हर किसी पर गुस्सा आता है और उसके मन में चिड़चिड़ाहट बढ़ती जाती है।

उसे हैरानी और दुख होता है कि किसी ने उसे खाने के लिए भी नहीं पूछा। इस बात का उसे बहुत मलाल होता है और उसके मन में तरह-तरह के नकारात्मक विचार आने लगते हैं। अब उसे किसी की कोई बात अच्छी नहीं लगती। वह अपनी नाराज़गी व्यक्त भी नहीं कर सकता, इसलिए सारी खीझ और गुस्सा उसके मन में ही दबकर रह जाता है।


सोच-विचार के लिए


पाठ को एक बार फिर ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-


(क) अस्पताल में बच्चे को कौन-कौन सी चीजें अच्छी लगीं और क्यों?

उत्तर: अस्पताल के वार्ड में एक सीध में रखे पलंग, उन पर बिछी साफ-सुथरी सफेद चादरें, लाल कंबल, हरे पर्दे, खिड़कियाँ और चमकता हुआ फर्श—यह सब देखकर बच्चा बहुत प्रभावित होता है। खिड़कियों के पास हवा में लहराते हरे-भरे पेड़ और अस्पताल का शांत, स्वच्छ वातावरण उसे आकर्षित करते हैं।

क्योंकि उसने जीवन में पहली बार किसी अस्पताल का दृश्य देखा था, इसलिए यह नया और अलग अनुभव उसे बहुत अच्छा लगा और उसके मन पर गहरा प्रभाव छोड़ा।


(ख) कहानी के अंत में बच्चे को महसूस हुआ कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। क्या आपको लगता है उसका निर्णय सही था? क्यों?


उत्तर: बच्चे का निर्णय उचित था, क्योंकि अगर वह स्कूल चला गया होता तो अपनी रोज़ की दिलचस्प दिनचर्या का आनंद ले पाता। ऐसा करने से उसे बेवजह होने वाली परेशानी, चिड़चिड़ापन, भूख और पूरे दिन का अकेलापन भी नहीं झेलना पड़ता।


(ग) जब बच्चा बीमार पड़ने का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटा रहा तो उसके मन में कौन-कौन से भाव आ रहे थे?

(संकेत- मन में उत्पन्न होने वाले विकार या विचार को भाव कहते हैं, उदाहरण के लिए क्रोध, दुख, भय, करुणा, प्रेम आदि । )


उत्तर: जब बच्चे ने बीमारी का बहाना बनाकर बिस्तर पकड़ लिया, तो उसके मन में यह उम्मीद थी कि नाना–नानी उसे बीमार समझकर ज़्यादा ध्यान देंगे, उसे उसकी पसंद की चीज़ें खिलाएँगे और खूब दुलार करेंगे। वह कल्पना कर रहा था कि वह आराम से लेटा रहेगा और साबूदाने की अपनी पसंदीदा खीर खाएगा।

लेकिन जब वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट निकली, तो वह परेशान हो गया। किसी ने भी उसे खाना खाने के लिए नहीं पूछा, जिससे वह मन-ही-मन परिवार के लोगों पर नाराज़ होने लगा। दुख, खीज और निराशा के कारण वह झुंझला उठा। मन में जलन, गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ने लगा, जिससे वह बेचैन महसूस करने लगा।


(घ) कहानी में बच्चे ने सोचा था कि “ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो। ” आपको क्या लगता है, असल में बीमार हो जाने और इस बच्चे की सोच में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होंगे?

(संकेत – आप अपने अनुभवों के आधार पर इस प्रश्न पर विचार कर सकते हैं कि कहानी वाले बच्चे की कल्पना वास्तविकता से कितनी अलग है ।)


उत्तर: वास्तविक रूप से बीमार होना और कहानी में बच्चे की सोच — इन दोनों में बहुत बड़ा फर्क है। सच में बीमार होने पर व्यक्ति को शरीर में दर्द, कमजोरी और असहजता होती है, इसलिए वह चाहकर भी उठ नहीं पाता और पूरे दिन बिस्तर पर पड़ा रहने के लिए मजबूर हो जाता है। उसे अपनी रोज़मर्रा की गतिविधियाँ छोड़कर दूसरों की देखभाल पर निर्भर रहना पड़ता है।

बीमार व्यक्ति को खाने में भी स्वाद नहीं आता, चाहे भोजन कितना भी अच्छा या पसंदीदा क्यों न हो। ऐसे में किसी तरह का आनंद नहीं मिल पाता।

इसके विपरीत, कहानी का बच्चा बीमारी को आराम, ध्यान और मनपसंद चीज़ें खाने का साधन समझता है। उसकी कल्पना वास्तविक बीमारी से बिल्कुल अलग है और असली स्थिति का उसे बिल्कुल अंदाज़ा नहीं है।


(ङ) नानीजी और नानाजी ने बच्चे को बीमारी की दवा दी और उसे आराम करने को कहा। बच्चे को खाना नहीं दिया गया। क्या आपको लगता है कि उन्होंने सही किया? आपको ऐसा क्यों लगता है?


उत्तर: नानाजी और नानीजी ने अपने अनुभव के आधार पर जिस प्रकार की बीमारी का अनुमान लगाया था, उसके अनुसार उन्होंने बच्चे को दवा दी और भोजन नहीं दिया। उनके अनुसार यह सही था, क्योंकि कई हल्की और सामान्य बीमारियाँ उपवास रखने से भी ठीक हो जाती हैं।


अनुमान और कल्पना से


(क) कहानी के अंत में बच्चा नानाजी और नानीजी को सब कुछ सच – सच बताने का निर्णय कर लेता तो कहानी में आगे क्या होता?
(संकेत- उसका दिन कैसे बदल जाता? उसकी सोच और अनुभव कैसे होते? )

उत्तर: यदि बच्चा नानाजी और नानीजी को सच बता देता, तो संभव है कि उसे थोड़ी डाँट पड़ती, लेकिन उसे पूरे दिन भूखे, अकेले और परेशान होकर नहीं रहना पड़ता। वह जिस मानसिक पीड़ा, खीझ और गुस्से से गुज़रा, उससे भी वह बच जाता। शायद नानीजी उसे बिना बीमार हुए ही साबूदाने की खीर बनाकर खिला देतीं।


इस घटना से उसका दिन एक सीख में बदल जाता, और वह भविष्य में कभी भी आराम करने या खीर खाने के लिए ऐसे झूठे बहाने न बनाने का निश्चय करता। इस तरह उसका अनुभव एक सुखद याद बन सकता था, न कि एक परेशान करने वाला दिन।


इस घटना से उसका दिन एक सीख में बदल जाता, और वह भविष्य में कभी भी आराम करने या खीर खाने के लिए ऐसे झूठे बहाने न बनाने का निश्चय करता। इस तरह उसका अनुभव एक सुखद याद बन सकता था, न कि एक परेशान करने वाला दिन।


(ख) कहानी में बच्चे की नानीजी के स्थान पर आप हैं। आप सारे नाटक को समझ गए हैं लेकिन चाहते हैं कि बच्चा सारी बात आपको स्वयं बता दे । अब आप क्या करेंगे?

(संकेत – इस सवाल में आपको नानाजी की जगह लेकर सोचना है और एक मनोरंजक योजना बनानी है जिससे बच्चा आपको स्वयं बातें बता दे ।)


उत्तर: यदि मैं बच्चे की नानी की जगह होता और उसके स्कूल न जाने के बहाने को समझ लेता, तो मैं उसी दिन घर में सबके लिए साबूदाने की खीर बना देता। इससे बच्चे को यह महसूस होता कि बिना बीमार पड़े या बीमारी का नाटक किए भी उसकी मनपसंद खीर मिल सकती है।

ऐसी स्थिति में वह सोचता कि जब खीर आराम से मिल सकती है, तो बीमारी का झूठा नाटक करने की क्या ज़रूरत है। यह बात उसे अपने बनाए हुए बहाने के बारे में सच बताने के लिए खुद ही प्रेरित कर देती।


(ग) कहानी में बच्चे के स्थान पर आप हैं और घर में अकेले हैं। अब आप ऊबने से बचने के लिए क्या – क्या करेंगे?


उत्तर: घर में अकेले रहते हुए ऊब से बचने के लिए मैं अपने खिलौनों से खेलूँगा, अपना अधूरा होमवर्क पूरा करूँगा और अपने कमरे की सफाई करके हर वस्तु को उसकी सही जगह पर रखूँगा, ताकि नानीजी मेरा काम देखकर खुश हों।


(घ) कहानी के अंत में बच्चे को लगा कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। कल्पना कीजिए, अगर वह स्कूल जाता तो उसका दिन कैसा होता? अगले दिन जब वह स्कूल गया होगा तो उसने क्या-क्या किया होगा ?


उत्तर: अगर बच्चा स्कूल चला गया होता, तो भले ही होमवर्क न करने पर उसे अध्यापक की डाँट सुननी पड़ती, लेकिन उसके बाद का पूरा दिन उसकी रोज़ की तरह खुशी और स्वतंत्रता से बीतता।

अगले दिन जब वह स्कूल पहुँचा होता, तो वह सारे काम बड़े मन लगाकर करता—वे ही काम जिन्हें वह बीती दोपहर बिस्तर पर पड़े-पड़े याद कर रहा था और स्कूल न जाने के अपने निर्णय पर पछता रहा था।


(ङ) कहानी में नानाजी ने बच्चे की बीमारी ठीक करने के लिए उसे दवाई दी और खाने के लिए कुछ नहीं दिया। अगर आप नानीजी या नानाजी की जगह होते तो क्या-क्या करते?


उत्तर: मैं पहले बच्चे की बीमारी को समझने की कोशिश करता और फिर उसे डॉक्टर के पास ले जाता। डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही उसे दवा, भोजन, पानी और फल देता। साथ ही उसकी मनःस्थिति को भी ध्यान से समझने का प्रयास करता।

यदि मुझे यह लगता कि वह सच नहीं बोल रहा है, तो मैं उसे प्यार और समझाइश के साथ सच बोलने के लिए प्रेरित करता, ताकि वह ईमानदारी का महत्व समझ सके।


कहानी की रचना


“अस्पताल का माहौल मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम थे। न ट्रैफिक का शोरगुल, न धूल, न मच्छर-मक्खी…। सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बातचीत करने की धीमी-धीमी गुनगुन। बाकी एकदम शांति।”

इन पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन पंक्तियों में ऐसा लग रहा है मानो हमारी आँखों के सामने अस्पताल का चित्र-सा बन गया हो। लेखन में इसे ‘चित्रात्मक भाषा’ कहते हैं। अनेक लेखक अपनी रचना को रोचक और सरस बनाने के लिए उपयुक्त स्थानों पर अनेक वस्तुओं, कार्यों, स्थानों आदि का विस्तार से वर्णन करते हैं।

लेखक ने इस कहानी को सरस और रोचक बनाने के लिए और भी अनेक तरीकों का उपयोग किया है। उदाहरण के लिए, उन्होंने कहानी में ‘बच्चे द्वारा कल्पना करने का भी प्रयोग किया है (जब बच्चा अकेले लेटे-लेटे घर और बाहर के लोगों के बारे में सोच रहा है)। इस कहानी में ऐसी कई विशेषताएँ छिपी हैं।

(विद्यार्थी अपनी पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या-65 पर दिए गए विवरण को पढ़ें।)

(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने समूह में मिलकर इस पाठ की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।


उत्तर: बीमार व्यक्ति की सेवा-सुश्रूषा प्रेरणादायी
बीमारों की देखभाल के लिए समय निकालना, उनसे मिलने जाते समय उनकी पसंद की उपयुक्त चीज़ें ले जाना—ये प्रसंग बच्चों के लिए अत्यंत प्रेरक बन जाते हैं।


अस्पताल की सकारात्मक छवि

 कहानी पढ़कर अस्पताल के शांत, स्वच्छ वातावरण और वहाँ कार्यरत कर्मचारियों के प्रति एक अच्छी और सकारात्मक छवि निर्मित होती है।

बच्चों के भोलेपन से उत्पन्न हास्य
छोटे बच्चों की सोच और उनकी मासूम मनोवृत्ति कहानी में हास्य उत्पन्न करती है। बच्चा बीमारी के कष्ट समझे बिना केवल साबूदाने की खीर पाने की इच्छा से बीमार होने का नाटक करना चाहता है।
जैसे—
“मैंने सोचा—ठाठ से साफ़ बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो। काश! सुधाकर काका की जगह मैं होता! मैं कब बीमार पड़ूँगा?”

अस्पताल के प्रथम अनुभव का कौतूहल
पहली बार अस्पताल जाना, वहाँ के नए दृश्य देखना और मन में अनेक प्रश्न उठना—ये सब कहानी को जीवंत बनाए रखते हैं और बच्चे के स्वाभाविक कौतूहल को दर्शाते हैं।

बाल-सुलभ रोचकता और चंचलता
कहानी में बच्चे की चंचलता, भोलेपन और बाल-मन की गत्यात्मकता कई जगहों पर रोचक विशेषताएँ लिए प्रस्तुत होती है।

बच्चे की उलझनें और भावनाएँ कहानी को जीवंत बनाती हैं
—ज़बरदस्ती बिस्तर पर लेटना
—स्कूल की दिनचर्या को याद करना
—अपने बहाने पर पछताना
ये सभी प्रसंग कहानी को और अधिक रोचक बनाते हैं।

बच्चे की झुंझलाहट कहानी का प्रभाव बढ़ाती है
उसकी नाराज़गी और भीतर-भीतर चल रहे विचार घर के माहौल और उसकी मनःस्थिति को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करते हैं।
जैसे—
“उन्होंने एक बार भी नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही माँगता, ताजमहल तो नहीं मांग लेता! लेकिन नहीं—भूखे रहो! इससे सारे विकार निकल जाएँगे।”

सरल, सहज भाषा-शैली
पूरी कहानी सरल और सहज भाषा में लिखी गई है, जो बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें एक महत्वपूर्ण सीख भी देती है।


(ख) कहानी में से निम्नलिखित के लिए उदाहरणं खोजकर लिखिए-


विशेष बिंदु

कहानी में से उदाहरण

बच्चे द्वारा पिछली बातों को याद किया जाना


हास्य युक्त शैली/भाषा का उपयोग


बच्चे द्वारा दौनों (नाना–नानी) के तरीक़े में बदलाव आना


कहानी में किसी का किसी बात से अनभिज्ञ होना


बच्चे द्वारा सपने से बातें किया जाना



उत्तर:


विशेष बिंदु

कहानी से पुनर्लिखित उदाहरण

1. बच्चे द्वारा पिछली बातों को याद करना

“रेसिस में ठेले से नमक-मिर्च लगे अमरूद खाते, कितना मज़ा आता—काश आज भी वैसा होता!”

2. हास्य और मज़ाकिया शैली का उपयोग

“अगर पूछ लेते तो मैं सिर्फ़ साबूदाने की खीर माँगता, ताजमहल थोड़े ही माँग लेता! पर नहीं… भूखे रहो!”

3. सोचने के तरीके में बदलाव

“क्या मुसीबत है! अब कितनी देर लेटे रहा जाए? बेहतर होता स्कूल चला जाता… सज़ा मिलती तो मिल जाती।”

4. किसी बात से अनजान होना

“मन्नू अब तक देखने नहीं आया। शायद चुपके से आया होगा और मुझे सोता समझकर लौट गया होगा।”

5. बच्चे का खुद से बातें करना

“किसी ने एक बार भी नहीं पूछा कि मैं क्या खाऊँगा! पूछते तो खीर ही माँगता… ताजमहल नहीं!”


समस्या और समाधान


कहानी को एक बार पुनः पढ़कर पता लगाइए-


(क) बच्चे के सामने क्या समस्या थी? उसने उस समस्या का क्या समाधान निकाला ?

उत्तर: बच्चे की समस्या यह थी कि वह वास्तव में बीमार नहीं था, लेकिन उसे साबूदाने की खीर खाने की बहुत इच्छा थी। उसे लगा कि खीर केवल तभी मिलेगी जब वह बीमार होगा, इसलिए उसने समाधान के रूप में बीमारी का बहाना बनाने का तरीका अपनाया, ताकि उसे अपनी मनपसंद खीर मिल सके।


(ख) नानीजी – नानाजी के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने उस समस्या का क्या समाधान निकाला ?


उत्तर: नानीजी और नानाजी के लिए समस्या यह थी कि वे बच्चे की बीमारी का असली कारण समझ नहीं पा रहे थे। इसलिए उन्होंने यह मानकर कि उसे पेट की कोई दिक्कत हो सकती है, घरेलू दवाइयाँ देकर समस्या का समाधान करने की कोशिश की।


शब्द से जुड़े शब्द


• नीचे दिए गए स्थानों में ‘बीमार’ से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए-


नीचे दिए गए स्थानों में ‘बीमार’ से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए-


उत्तर:

नीचे दिए गए स्थानों में ‘बीमार’ से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए-


खोजबीन


कहानी में से वे वाक्य ढूँढ़कर लिखिए जिनसे पता चलता है कि-


(क) कहानी में सर्दी के मौसम की घटनाएँ बताई गई हैं।


उत्तर: मैं रजाई से बिल्कुल नहीं निकला।

  • अस्पताल में लाल रंग के कंबल बिछे थे।

  • मैं रजाई में पड़ा-पड़ा घर में हो रही हर गतिविधि का अंदाज़ लगाता रहा।

  • नानाजी ने रजाई हटाकर मेरा माथा छूकर देखा।

  • रीसेस में नमक-मिर्च लगे अमरूद खाते—कटर-कटर—कितना मज़ा आता था।

  • जब और सहन नहीं हुआ, तो मैं रजाई छोड़कर दबे पाँव दरवाज़े तक पहुँच गया।

  • आम! इस मौसम में? ज़रूर बंबई वाले चाचाजी ने भेजे होंगे।


(ख) बच्चे को बहाना बनाने के परिणाम का आभास हो गया।


उत्तर: हे भगवान! यह तो बहुत ज़्यादा उबाऊ हो गया। कोई पूरे दिन बिस्तर पर कैसे पड़ा रह सकता है? और फिर शाम को क्या होगा? क्या नानाजी मुझे बाहर खेलने देंगे? सभी बच्चे आँगन में हल्ला करते हुए खेल रहे होंगे और मैं यहाँ बिस्तर पर पड़ा परेशान हो रहा होऊँगा।
वाह भाई! बीमारी का नाटक करने वाले, अब भुगतो!
और आज का होमवर्क! किससे कॉपी माँगूँगा? यह सोचकर मेरी आँखों में आँसू आ गए।

क्या मुसीबत है! यूँ पड़े रहो जैसे कुछ कर ही नहीं सकते। आख़िर कितना समय कोई बिस्तर में लेटा रह सकता है? बेहतर होता कि मैं स्कूल ही चला जाता। सज़ा मिलती तो मिल जाती, पर कम-से-कम दिन तो ठीक से बीतता।


(ग) बच्चे को खाना-पीना बहुत प्रिय है।


उत्तर: 

बीमारों के भी क्या ठाठ होते हैं! मैंने सोचा—साफ-सुथरे बिस्तर पर आराम से लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो!
काश! सुधाकर काका की जगह मैं होता।
मैं कब बीमार पड़ूँगा?

रीसेस में ठेले से नमक–मिर्च लगे अमरूद खाते—कटर-कटर—कितना मज़ा आता था!

ज़रा-सी आँख लगती तो खाने-पीने की तरह–तरह की चीज़ें नज़र आने लगतीं—गरमागर्म कचौड़ी, मावे की बर्फ़ी, बेसन की चिक्की… गोलगप्पे… और सबसे बढ़कर साबूदाने की खीर!
पता नहीं, साबूदाने की खीर सिर्फ़ उपवास या बीमारी में ही क्यों बनती है?
ठीक वैसे ही जैसे गुझिया केवल होली–दिवाली में और पंजीरी सिर्फ़ पूर्णिमा को ही बनती है। क्या ये चीज़ें मन होने पर कभी भी नहीं बनाई जा सकतीं? कौन मना करता है?

उधर वे खाना खा रहे थे। चबाने की आवाज़ें आ रही थीं।
देखो न! एक बार भी आकर नहीं पूछा कि मैं क्या खाऊँगा!
पूछते तो मैं तो साबूदाने की खीर ही माँगता—कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता।

आज आखिर क्या बना है?
खुशबू तो दाल–चावल की लग रही है।
अरहर की दाल पर हींग–जीरे का तड़का, ऊपर से बारीक कटा हरा धनिया और आधा चम्मच देसी घी… और फिर उसमें नींबू निचोड़ा हुआ होगा।
कोई थोड़ा–सा इस “बीमार” को भी दे देता!

…लेकिन ये तो किसी और चीज़ की खुशबू है।
क्या तली हुई हरी मिर्च है?
शायद दाल–चावल के साथ मसलकर खा रहे हैं।

जब सहा नहीं गया तो मैं रजाई फेंककर उठ खड़ा हुआ।
दबे पाँव दरवाज़े तक गया और चुपके से झाँका।

हाँ—दाल–चावल, तली हुई हरी मिर्च…

और मुन्नू तो आम खा रहा था!
आम!? वो भी इस मौसम में!
निश्चय ही मुंबई वाले चाचाजी भेजकर गए होंगे।


(घ) बच्चे को स्कूल जाना अच्छा लगता है।


उत्तर: बेहतर होता कि मैं स्कूल ही चला जाता।

सज़ा मिलती तो भी कोई बात नहीं थी।

रीसेस में ठेले से नमक–मिर्च लगे अमरूद खाते—कटर-कटर—कितना मज़ा आता!


शीर्षक


(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम ‘नहीं होना बीमार’ है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि इस कहानी का यह नाम उपयुक्त है या नहीं। अपने उत्तर के कारण भी बताइए।

उत्तर:

इस कहानी का शीर्षक उचित नहीं लगता, क्योंकि बच्चा वास्तव में बीमार नहीं था—उसने सिर्फ़ बीमारी का बहाना बनाया था।


(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए |


उत्तर: मैं इस कहानी का नाम ‘सबक’ रखूँगा, क्योंकि बीमारी का झूठा बहाना करने से क्या परिणाम हो सकते हैं—यह सीख बच्चा अंत में अच्छी तरह समझ जाता है।


अभिनय


(विद्यार्थी अपनी पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 67 पर दिए गए संवाद पढ़ेंगे।)


चेहरों पर मुस्कान, मुँह में पानी


(क) इस कहानी में अनेक रोचक घटनाएँ हैं जिन्हें पढ़कर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। इस कहानी में किन बातों को पढ़कर आपके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी ? उन्हें रेखांकित कीजिए ।
उत्तर:

  • काश मैं सुधाकर काका की जगह होता! कब बीमार पड़ूँगा मैं?

  • मैंने सोचा—आज बीमार होने का दिन बिल्कुल ठीक है, चलो आज ही बीमारी का बहाना बना लेते हैं।

  • नानाजी ने कहा—आज इसे कुछ खाने को मत दो, बस इसे आराम करने दो।

  • जैसे ही हल्की-सी नींद आती, आँखों के सामने तरह–तरह के खाने की चीज़ें दिखने लगतीं।

  • उधर वे लोग खाना खा रहे हैं। चबाने की आवाज़ें साफ़ सुनाई दे रही हैं। किसी ने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि मैं क्या खाऊँगा! पूछ लेते तो मैं साबूदाने की खीर ही माँगता—ताजमहल थोड़े ही माँग लेता! लेकिन नहीं… भूखे रहो! इससे सारे विकार निकल जाएँगे—भले ही खुद ही क्यों न परेशान हो जाओ!

  • कोई थोड़ा-सा ही सही, इस “बीमार” को भी खिला देता।


(ख) इस कहानी में किन वाक्यों को पढ़कर आपके मुँह में पानी आ गया था? उन्हें रेखांकित कीजिए ।

उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।


लेखन के अनोखे तरीके


(विद्यार्थी अपनी पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 68 पर दिए गए वाक्यों को पढ़ेगे।)


नीचे कुछ वाक्य दिए गए हैं। कहानी में ढूँढ़िए कि इन बातों को कैसे लिखा गया है-

  1. ऐसा लगा मानो हमें देखकर सुधाकर काका खुश हो गए।

  2. खिड़कियाँ बहुत बड़ी थीं और उनके बाहर हरे पेड़ हवा से हिल रहे थे।

  3. वहाँ केवल लोगों के फुसफुसाने की आवाजें आ रही थीं।

  4. फुसफुसाने की आवाजों के सिवा वहाँ कोई आवाज नहीं थी।

  5. बीमार लोगों के बहुत मजे होते हैं।

  6. मैं झूठमूठ बीमार पड़ जाता हूँ ।


नीचे कुछ वाक्य दिए गए हैं। कहानी में ढूँढ़िए कि इन बातों को कैसे लिखा गया है-


उत्तर:

  • हमें देखते ही सुधाकर काका के चेहरे पर खुशी झलक उठी।

  • बड़ी-बड़ी खिड़कियों के बाहर हरे-भरे पेड़ हवा में लहराते हुए दिखाई दे रहे थे।

  • लोगों की धीमी बातचीत की हल्की-सी सरसराहट सुनाई दे रही थी।

  • बाकी पूरा वातावरण बिल्कुल शांत था।

  • बीमारों के भी क्या बढ़िया ठाठ होते हैं!

  • मैंने सोचा—आज बीमार होने का बहाना बनाने के लिए बिल्कुल सही दिन है; चलो, आज ही बीमार बन जाते हैं।


विराम चिह्न


देखें!” नानाजी ने रजाई हटाकर मेरा माथा छुआ। पेट देखा और नब्ज देखने लगे। इस बीच नानीजी भी आ गईं। “क्या हुआ?”, नानीजी ने ‘पूछा।


देखें!” नानाजी ने रजाई हटाकर मेरा माथा छुआ। पेट देखा और नब्ज देखने लगे। इस बीच नानीजी भी आ गईं। “क्या हुआ?”, नानीजी ने ‘पूछा।


पिछले पृष्ठ पर दिए गए वाक्यों को ध्यान से देखिए। इन वाक्यों में आपको कुछ शब्दों से पहले या बाद में कुछ चिह्न दिखाई दे रहे हैं। इन्हें विराम चिह्न कहते हैं।

अपने समूह के साथ मिलकर नीचे दिए गए विराम चिह्न को कहानी में ढूँढ़िए। ध्यानपूर्वक देखकर समझिए कि इनका प्रयोग वाक्यों में कहाँ-कहाँ किया जाता है। आपने जो पता किया, उसे नीचे लिखिए—


विराम चिह्न

कहाँ प्रयोग किया जाता है

पूर्ण विराम (।)


अल्प विराम (,)


प्रश्नवाचक चिह्न (?)


**विस्मयादिबोधक चिह्न (!) **


उद्धरण चिह्न (“ ”)



आवश्यकता हो तो इस प्रश्न का उत्तर पता करने के लिए आप अपने परिजनों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं।
(विराम चिह्न को समझने के लिए अपनी पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या 68-69 देखें।)

• अपने समूह के साथ मिलकर नीचे दिए गए विराम चिह्न को कहानी में ढूँढ़िए। ध्यानपूर्वक देखकर समझिए
नहीं होना बीमार कि इनका प्रयोग वाक्यों में कहाँ-कहाँ किया जाता है। आपने जो पता किया, उसे नीचे लिखिए-

उत्तर: 


विराम चिह्न

प्रयोग का स्थान 

पूर्ण विराम (।)

पूर्ण विराम का प्रयोग वाक्य के अंत में किया जाता है। यह वाक्य को पूरा करता है और उसके अर्थ को स्पष्ट बनाता है।

अल्प विराम (,)

अल्पविराम वाक्य में शब्दों, वाक्यांशों या उपवाक्यों को अलग करने के लिए लगाया जाता है, जिससे वाक्य अधिक सुगम और स्पष्ट हो जाता है।

प्रश्नवाचक चिह्न (?)

इस चिह्न का प्रयोग उन वाक्यों के अंत में होता है जो किसी बात की जानकारी, उत्तर या स्पष्टीकरण पूछते हैं।

विस्मयादिबोधक चिह्न (!)

आश्चर्य, खुशी, रोष, दुख आदि भावनाओं को प्रकट करने वाले वाक्यों के अंत में यह चिह्न लगाया जाता है।

उद्धरण चिह्न (“ ”)

उद्धरण चिह्नों का प्रयोग किसी व्यक्ति द्वारा कहे गए शब्दों, वाक्यों या किसी विशेष पंक्ति को ज्यों-का-त्यों लिखते समय किया जाता है।


• (विद्यार्थी अपनी पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 69 पर दी गई गतिविधि पढ़ें।)


उत्तर:

विद्यार्थी स्वयं करेंगे।


कैसी होगी गली

“मुझे बड़ी तेज इच्छा हुई कि इसी समय बाहर निकलकर दिन की रोशनी में अपनी गली की चहल-पहल देखूँ”
आपने कहानी में बच्चे के घर के साथ वाली गली के बारे में बहुत-सी बातें पढ़ी हैं। उन बातों और अपनी कल्पना के आधार पर उस गली का एक चित्र बनाइए ।

• (विद्यार्थी अपनी पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 69 पर दी गई गतिविधि पढ़ें।)

उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करेंगे।


पाठ से आगे

आपकी बात


(क) बच्चे ने अस्पताल के वातावरण का विस्तार से सुंदर वर्णन किया है। इसी प्रकार आप अपनी कक्षा का वर्णन कीजिए।
(ख) कहानी में बच्चे को घर में अकेले दिन भर लेटे रहना पड़ा था। क्या आप कभी कहीं अकेले रहे हैं? उस समय आपको कैसा लग रहा था? आपने क्या-क्या किया था?
(ग) कहानी में आम खाने वाले मुन्नू को देखकर बच्चे को ईर्ष्या हुई थी। क्या आपको कभी किसी से या किसी को आपसे ईर्ष्या हुई है? आपने तब क्या किया था ताकि यह भावना दूर हो जाए?
(घ) कहानी में नानाजी – नानीजी बच्चे का पूरा ध्यान रखने का प्रयास करते हैं। आपके घर और विद्यालय में आपका ध्यान कौन-कौन रखते हैं? कैसे?
(ङ) आप अपने परिजनों और मित्रों का ध्यान कैसे रखते हैं? क्या-क्या करते हैं या क्या-क्या नहीं करते हैं ताकि उन्हें कम-से-कम परेशानी हो ?

• (इससे संबंधित अंश पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या-69 पर देखें।)

उत्तर: विद्यार्थी यह कार्य स्वयं पूरा करेंगे।


बहाने


(क) कहानी में बच्चे ने बीमारी का बहाना बनाया ताकि उसे स्कूल न जाना पड़े। क्या आपने कभी किसी कारण से बहाना बनाया है? यदि हाँ, तो उसके बारे में बताइए । उस समय आपके मन में कौन-कौन से भाव आ-जा रहे थे? आप कैसा अनुभव कर रहे थे ?

उत्तर: विद्यार्थी यह कार्य स्वयं पूरा करेंगे।


(क) कहानी में बच्चे ने बीमारी का बहाना बनाया ताकि उसे स्कूल न जाना पड़े। क्या आपने कभी किसी कारण से बहाना बनाया है? यदि हाँ, तो उसके बारे में बताइए । उस समय आपके मन में कौन-कौन से भाव आ-जा रहे थे? आप कैसा अनुभव कर रहे थे ?


(ख) आमतौर पर बनाए जाने वाले बहानों की एक सूची बनाइए।


उत्तर: अक्सर हम किसी काम को करने की इच्छा नहीं रखते, लेकिन सच बताने में डरते हैं या झिझक महसूस करते हैं, इसलिए बहाना बनाना पड़ता है।

बहाने से बचने के लिए ज़रूरी है कि हम डर और संकोच छोड़कर थोड़ी हिम्मत जुटाएँ और स्थिति को ईमानदारी से समझाकर सच बोलने की कोशिश करें। इससे न तो बहाना बनाना पड़ेगा और न ही अनावश्यक परेशानी होगी।


अनुमान


“मैं रजाई में पड़ा-पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाता रहा।”
कहानी में बच्चे ने अनेक प्रकार के अनुमान लगाए हैं। क्या आपने कभी किसी अनदेखे व्यक्ति / वस्तु / पशु – पक्षी/स्थान आदि के विषय में अनुमान लगाए हैं? किसके बारे में? क्या? कब? विस्तार से बताइए।
(संकेत – जैसे पेड़ से आने वाली आवाज सुनकर किसी प्राणी का अनुमान लगाना; कहीं दूर रहने वाले किसी संबंधी/रिश्तेदार के विषय में सुनकर उसके संबंध में अनुमान लगाना।)


• (विद्यार्थी इससे संबंधित अंश पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या- 70 पर देखें।)
उत्तर: विद्यार्थी यह कार्य स्वयं पूरा करेंगे।


घर का सामान


“बहुत ढूँढ़ा गया पर थर्मामीटर मिला ही नहीं। शायद कोई माँगकर ले गया था।”

• कहानी में बच्चे के घर पर थर्मामीटर (तापमापी) खोजने पर वह मिल नहीं पाता। आमतौर पर हमारे घरों में कोई न कोई ऐसी वस्तु होती है जिसे खोजने पर भी वह नहीं मिलती, जिसे कोई माँगकर ले जाता है या हम जिसे किसी से माँगकर ले आते हैं। अपने घर को ध्यान में रखते हुए ऐसी वस्तुओं की सूची बनाइए –

जो खोजने पर भी नहीं मिलतीं

जो खोई माफ़ कर दी जाती हैं

जो आप किसी से माँगकर लेते हैं











उत्तर:


जो खोजने पर भी नहीं मिलती हैं

जो कोई माँगकर ले जाते हैं

जो आप किसी से माँगकर लाते हैं

रूमाल

पलास

मिट्टी

बॉटल

कुर्सियाँ

गुझिया बनाने का साँचा

कैंची

खुरपी

फूल

रबर

सीढ़ी

बीज


खान-पान और आप


• (विद्यार्थी इससे संबंधित अंश पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या – 71 पर देखें।)

उत्तर: विद्यार्थी यह कार्य स्वयं पूरा करेंगे।


आज की पहेली

• कहानी में आपने खाने-पीने की अनेक वस्तुओं के बारे में पढ़ा है। अब हम आपके सामने खाने-पीने की वस्तुओं या व्यंजनों से जुड़ी कुछ पहेलियाँ लाए हैं। इन्हें बूझिए और उत्तर लिखिए-


कहानी में आपने खाने-पीने की अनेक वस्तुओं के बारे में पढ़ा है। अब हम आपके सामने खाने-पीने की वस्तुओं या व्यंजनों से जुड़ी कुछ पहेलियाँ लाए हैं। इन्हें बूझिए और उत्तर लिखिए-


उत्तर:

पहेली 

उत्तर

1. रोटी जैसी दिखने वाली चीज़, जिसमें आलू भरा हो। घी-तेल इसकी शान, दही-चटनी इसका स्वाद बढ़ाएँ। बताओ यह क्या कहलाती है?

आलू का पराठा

2. चावल-दाल से बना यह व्यंजन पूरे भारत में पसंद किया जाता है। दक्षिण भारत में खास तौर पर इसे खाया जाता है। गोल आकार में तपा-तपाकर बनाया जाता है, साथ में चटनी–सांभर इसका जोड़ा है। बोलो, यह कौन-सा व्यंजन है?

मसाला डोसा

3. महाराष्ट्र की खास पहचान, बड़ा आकार, मसालेदार स्वाद, साथ में बटाटा का मेल। सड़क किनारे मिलने वाला यह व्यंजन बड़ा मजेदार लगता है। पहचानो इसका नाम।

वड़ा पाव

4. बेसन से बने चोकोर या गोल टुकड़े, गुजरात की शान। नरम-नरम, ऊपर से तड़का, मिर्च के साथ स्वाद दुगुना। बताओ यह क्या कहलाता है?

ढोकला

5. गोल-गोल पानी भरे, चटनी संग खाओ। उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम, हर जगह इसका स्वाद मशहूर। खट्टा-मीठा, कुरकुरा मज़ा—क्या आप बता सकते हैं यह क्या है?

गोलगप्पे (पानी पुरी)

6. हरे साग का मज़ा, मक्के की रोटी के साथ खूब जमे। पीले रंग वाली यह रोटी पंजाब की शान। पहचानो यह कौन-सी रोटी है।

मक्के की रोटी

7. आग पर पकी मोटी, सुगंध से भरपूर, साथ में दाल का स्वाद। राजस्थान में बहुत प्रसिद्ध। बताइए यह खाना क्या कहलाता है?

बाटी

8. सफेद-सफेद गोल गेंद जैसा मीठा व्यंजन, रस से भरा हुआ, जिसकी मिठास पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यह क्या है?

रसगुल्ला


NCERT Solutions Chapter 5 Nahi Hona Bimaar: मुख्य बातें

कक्षा 7 हिंदी Chapter 5 नहीं होना बीमार विद्यार्थियों को ईमानदारी और जीवन के रोज़मर्रा के अनुभवों को समझाने वाला पाठ है। इसमें भावनाओं की अभिव्यक्ति और पारिवारिक रिश्तों की झलक प्रमुखता से दिखती है।


इस अध्याय की NCERT Solutions 2025-26 से अभ्यास करने पर परीक्षा की तैयारी आसान हो जाती है। प्रश्न-उत्तर के माध्यम से विद्यार्थियों की खुशमिजाजी और कठिनाई में सीखने की क्षमता दोनों ही विकसित होती है।


पाठ का सरल, रोचक भाषा-शैली और रचनात्मक उदाहरणों से विद्यार्थी वास्तविक जीवन में भी उपयोगी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। रेगुलर रिवीजन व अभ्यास से अच्छे अंक लाने के मौके बढ़ जाते हैं।

FAQs on Class 7 Hindi Chapter 5 Nahi Hona Bimaar – Stepwise NCERT Solutions

1. What are NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 Nahi Hona Bimaar?

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 Nahi Hona Bimaar offer stepwise answers to all textbook questions, helping students master concepts and write exam-ready responses.

- Each solution matches the CBSE syllabus for 2025–26.
- Answers follow the CBSE marking scheme and textbook structure.
- Important keywords, definitions, and examples are included.
- These solutions are especially useful for quick revision and scoring full marks in exams.

2. How can I score full marks in Class 7 Hindi Chapter 5 using NCERT Solutions?

To score full marks in Class 7 Hindi Chapter 5, use the NCERT Solutions for structured, step-by-step answers and practice them as below:

- Start by reading each question and answer carefully.
- Use bullet points or clear paragraphs for long answers.
- Highlight key terms and definitions.
- Where needed, add neat diagrams or tables.
- Practice writing answers in your own words after understanding the sample solutions.
- Revise using the free downloadable PDF for offline practice.

3. Where can I download the NCERT Solutions PDF for Class 7 Hindi Chapter 5 Nahi Hona Bimaar?

Students can download the free PDF of NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 directly from trusted educational platforms.

- Look for an easy-to-access PDF download button on the solutions page.
- The PDF contains chapter-wise, exercise-wise step answers.
- Offline access makes revision and last-minute exam prep much easier.
- Always ensure the PDF is updated for the 2025–26 syllabus.

4. Are the NCERT Solutions for Chapter 5 enough for exam preparation in CBSE Class 7 Hindi?

NCERT Solutions for Chapter 5 are sufficient for understanding concepts and practicing exam-type answers, as they are:

- Aligned with the latest CBSE guidelines.
- Contain stepwise, examiner-expected answers.
- Include key definitions, examples, and commonly asked questions.
- For extra practice, use NCERT Exemplar and sample papers alongside these solutions.

5. What are the most important topics to prepare from Class 7 Hindi Chapter 5?

The most important topics in Class 7 Hindi Chapter 5 Nahi Hona Bimaar are:

- Main theme and summary of the lesson.
- Key definitions and word meanings.
- Important events, dialogues, and characters.
- In-text and back exercise questions.
- Any provided diagrams, tables, or maps relevant to the lesson.

6. How should long answers be written for full marks in Hindi Chapter 5?

Write long answers for Hindi Chapter 5 by:

- Starting with a direct, clear introduction.
- Covering all parts of the question with supporting examples or evidence.
- Using paragraphs or bullet points for logical flow.
- Highlighting key words and important points.
- Keeping the language simple and grammar accurate.
- Ending with a concise conclusion.

7. Are definitions and diagrams mandatory in answers for Class 7 Hindi Chapter 5?

Including definitions is essential when questions ask for them, as they carry direct marks.

- Diagrams are not usually required in Hindi literature, but for any map or pictorial question, neat labelling is important.
- Always check the question’s demand in your textbook exercises.
- Extra neatness and clarity help secure better marks.

8. How do examiner mark stepwise answers for NCERT exercise questions?

Examiner award marks based on the presence of correct steps and key points in the answer, even if final wording varies.

- Each sub-part or step carries partial marks.
- Correct keywords or core concepts secure marks.
- Incomplete or incorrect answers may get partial credit if steps are right.
- Structured, labelled, and accurately presented answers increase score chances.

9. What are common mistakes students make in Class 7 Hindi Chapter 5 answers and how to avoid them?

The most common mistakes in Chapter 5 answers are:

- Missing key words or themes.
- Writing answers too briefly or superficially.
- Ignoring definitions or specific demands (like examples/characters).
- Spelling and grammar errors in Hindi.
- To avoid these:
- Read the question twice.
- Plan your answer structure.
- Revise after writing.
- Use stepwise NCERT solutions as guides.

10. Are the NCERT Solutions for this chapter reviewed by teachers and updated for the 2025–26 CBSE syllabus?

Yes, the NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 are teacher-reviewed and updated for the 2025–26 CBSE syllabus.

- Solutions align with the latest textbook and exam pattern.
- They are checked for accuracy, relevance, and marking scheme compliance.
- Regular updates ensure exam readiness for current academic year students.