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बिरजू महाराज से साक्षात्कार नृत्यांगना सुधा चंद्रन 7 Hindi Chapter 8 CBSE Notes 2025-26

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Hindi Notes for Chapter 8 बिरजू महाराज से साक्षात्कार नृत्यांगना सुधा चंद्रन Class 7- FREE PDF Download

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Revision Notes for Class 7 Hindi Chapter 8 बिरजू महाराज से साक्षात्कार नृत्यांगना सुधा चंद्रन

यह पाठ 'बिरजू महाराज से साक्षात्कार नृत्यांगना सुधा चंद्रन' विद्यार्थियों द्वारा लिखा गया है। इसमें दो महान नृत्यांगनों के प्रेरणादायक जीवन, संघर्ष, नृत्य के प्रति समर्पण व भारतीय शास्त्रीय नृत्य—विशेषतः कथक—की परंपरा, इतिहास और विकास को प्रस्तुत किया गया है। विद्यार्थियों को न केवल नृत्य कला, बल्कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, मेहनत और जिजीविषा का संदेश भी इस पाठ के माध्यम से मिलता है।

बरजू महाराज का जीवन और संघर्ष

बरजू महाराज का जन्म एक समृद्ध परिवार में हुआ था, लेकिन पिता के निधन के बाद जीवन में आर्थिक संकट आ गया। उनकी मां ने कठिन परिस्थितियों में उनका साथ दिया। खाने-पीने की कमी थी, फिर भी अभ्यास कभी नहीं छोड़ा। अपनी मेहनत, लगन और निरंतर अभ्यास के बल पर बरजू महाराज भारतीय शास्त्रीय नृत्य कथक के महान कलाकार बने।

गुरु-शिष्य परंपरा और कथक की शिक्षा

बरजू महाराज ने कथक की शिक्षा अपने पिता अच्छन महाराज, चाचा शंभू महाराज व लच्छू महाराज से प्राप्त की। कथक की परंपरा में 'गंडा बंधन' की विशेष महत्वता है, जो गुरु-शिष्य के पवित्र संबंध को दर्शाता है। वे मानते हैं कि जब शिष्य सच्ची लगन दिखाए, तभी वह औपचारिक रूप से शिष्य बन सकता है।

अभ्यास, पढ़ाई और अन्य गतिविधियाँ

बरजू महाराज के अनुसार पढ़ाई, कला और अन्य गतिविधियों को साथ लाया जा सकता है। उनकी शिष्या शोभना नारायण आईएएस अफसर भी हैं और उत्कृष्ट नृत्यांगना भी। वे स्वयं नृत्य के साथ-साथ संगीत निर्देशन, गायन व वादन में भी निपुण हैं।

कथक का इतिहास और विकास

कथक एक प्राचीन भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली है, जिसका उल्लेख 'महाभारत' व 'रामायण' में भी मिलता है। प्रारंभ में यह मंदिरों तक ही सीमित था। लखनऊ, जयपुर, बनारस और रायगढ़ घरानों में कथक की अपनी-अपनी विशिष्टता है। कथक की प्रस्तुतियों में समय के साथ बदलाव आए हैं, जैसे कि मंच का विकास और नई रचनाओं का समावेश।

नृत्य और संगीत का संबंध

नृत्य, संगीत (Music) और गायन, तीनों में लय-ताल (Rhythm) अनिवार्य है। नृत्य को एक साधना माना जाता है। बरजू महाराज के अनुसार, जीवन के हर क्षेत्र में लय का महत्व है—यह अनुशासन, संतुलन और सौंदर्य का आधार है।

कथक में परिवर्तन और प्रस्तुतिकरण

बरजू महाराज ने कथक की पारंपरिक शैली को कायम रखते हुए प्रस्तुतिकरण में नयापन जोड़ा। मंच, वेशभूषा, भाव-भंगिमाएँ और समकालीन कविताएँ इत्यादि कथक का हिस्सा बनाई गईं। प्रस्तुति शैली में लघुता व संक्षिप्तता आ गई है। अब कथाकथन में कल्पना के लिए भी स्थान छोड़ा जाता है।

शास्त्रीय नृत्य और लोकनृत्य

शास्त्रीय नृत्य एकल प्रदर्शन होता है और गहन अभ्यास व कौशल की अपेक्षा करता है। लोकनृत्य सामूहिक आनंद के लिए किया जाता है। शास्त्रीय नृत्य में अभिनयन, गहन भाव अभिव्यक्ति व ठोस संरचना होती है, जबकि लोकनृत्य चटपटे, सहज व मनोरंजन प्रधान होते हैं।

दक्षिण और उत्तर भारतीय शैली

देश में प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियाँ हैं: कथक, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, कथकली, मोहिनीअट्टम, ओडिसी, मणिपुरी आदि। दक्षिण भारत की शैलियों में मुद्रा, भाव व स्थल विशेष की छवि अलग दिखती है, वहीं उत्तर भारतीय कथक लयात्मकता और कथाकथन के लिए प्रसिद्ध है।

प्रेरणादायक जीवन: सुधा चंद्रन

प्रसिद्ध नृत्यांगना सुधा चंद्रन का जीवन संघर्ष और आत्मबल का उदाहरण है। वे कम उम्र से कथक नृत्य सीखने लगीं। एक सड़क दुर्घटना के कारण उनका एक पैर काटना पड़ा, लेकिन कृत्रिम पैर (जयपुर फुट) के सहारे उन्होंने पुनः नृत्य मंच पर अद्भुत प्रस्तुति दी और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की।

  • सुधा चंद्रन 'कला-सदन', मुंबई की छात्रा थीं।
  • एक वर्ष के कठोर अभ्यास और मनोबल से कृत्रिम पैर के सहारे मंच पर लौटीं।
  • उनकी कहानी दृढ़ इच्छा-शक्ति, साहस और आत्मनिर्भरता की मिसाल है।
पाठ से प्राप्त प्रमुख संदेश
  • सफलता के लिए कड़ी मेहनत, अनुशासन और निरंतर अभ्यास जरूरी है।
  • असफलता या शारीरिक बाधाएं भी सच्ची लगन को रोक नहीं सकतीं।
  • गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय सांस्कृतिक धरोहर है।
  • संगीत और नृत्य का संगम जीवन और व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक है।
  • पारंपरिक, शास्त्रीय व लोकनृत्य हमारी सांस्कृतिक विविधता के महत्वपूर्ण स्वरूप हैं।
महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ
शब्दअर्थ
कथकउत्तर भारत की शास्त्रीय नृत्य शैली, जिसमें कथा, लय और भाव अभिव्यक्ति का मेल होता है।
गुरु-शिष्य परंपराभारतीय संस्कृति में गुरु द्वारा शिष्य को ज्ञान व कला प्रदान करने की सांस्कृतिक परंपरा।
गंडा बंधनगुरु-शिष्य संबंध स्थापित करने के लिए बांधा गया पवित्र धागा/ताबीज।
जयपुर फुटकृत्रिम पैर जो दिव्यांग व्यक्तियों की सुविधा के लिए बनाया गया है।
परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण बिंदु
  • बरजू महाराज का वास्तविक नाम, उनका परिवार, संघर्ष और कथक प्रशिक्षण।
  • सुधा चंद्रन की उपलब्धियाँ, दुर्घटना और पुन: मंच पर लौटना।
  • कथक की उत्पत्ति, प्रमुख घराने और विकास यात्रा।
  • शास्त्रीय एवं लोकनृत्य में अंतर।
  • शास्त्रीय नृत्य की छ: प्रमुख शैलियाँ।
  • नृत्य में ‘लय’ और ‘भाव’ का महत्व।
सारांशात्मक बिंदु (Quick Revision)
  • महान कलाकारों के जीवन से संघर्ष, अनुशासन और परंपरा का महत्व समझें।
  • कथक का इतिहास, उसके विविध घराने और प्रसिद्ध कलाकारों का योगदान जानें।
  • माता-पिता को बच्चों की रुचियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
  • नृत्य का अभ्यास शारीरिक-मानसिक विकास के लिए आवश्यक है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर सुझाव
  1. बरजू महाराज के बचपन और संघर्षपूर्ण जीवन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
  2. सुधा चंद्रन के जीवन संघर्ष और उनकी उपलब्धियों पर निबंध लिखें।
  3. कथक नृत्य शैली की प्रमुख बातें व उसके ऐतिहासिक विकास का वर्णन करें।
लेखक परिचय

यह पाठ विद्यार्थियों द्वारा रचित है, जिसमें भारत की सांस्कृतिक धरोहर, नृत्यकला के महान व्यक्तित्व, संघर्ष-विजय और संगीत के शाश्वत महत्व को रेखांकित किया गया है।

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FAQs on बिरजू महाराज से साक्षात्कार नृत्यांगना सुधा चंद्रन 7 Hindi Chapter 8 CBSE Notes 2025-26

1. What are CBSE Class 7 Hindi Malhar Chapter 8 revision notes and how do they help?

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2. How can I use exercise-wise solutions from Hindi Chapter 8 notes for exam prep?

Exercise-wise solutions break down each NCERT textbook question into simple, step-by-step answers that follow the CBSE marking scheme. Use these by

  • studying each type of question,
  • noting key terms,
  • practicing structuring answers as shown in the notes.

3. Which definitions and keywords from Chapter 8 should I revise for Hindi exams?

Review important definitions, textbook terms, and examples highlighted in the revision notes for Chapter 8. CBSE exam questions often ask for these. Make your own summary table or flashcards based on the notes to improve recall during the exams.

4. Are diagrams or labelled maps necessary in Hindi Class 7 Chapter 8 answers?

Some questions may require simple diagrams, tables, or labelled parts if the chapter covers related topics. Always label clearly, use a ruler, and add short captions if needed. Marks are often awarded for neatness and proper explanation.

5. What are common mistakes to avoid while using revision notes for Hindi Malhar Chapter 8?

Avoid copying answers without understanding. Do not skip important keywords or stepwise points. Review this checklist:

  • Don’t miss definitions and key phrases
  • Write complete sentences
  • Check answer length as per CBSE guidelines

6. How should I plan a quick revision of Hindi Chapter 8 using these notes before exams?

Use a simple revision plan:

  1. Read the summary and key points.
  2. Practice important questions from the stepwise solutions.
  3. Revise definitions, diagrams, and practice quick recalls.
Focus on likely exam questions from the notes.

7. Where can I download the free PDF revision notes and solutions for Class 7 Hindi Chapter 8?

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